Tuesday, 12 April 2022

गांव (village)

  


         गांव

मैं अपने गांव आया हूं

जो अब रहा नही।

उस तालाब से, आम के पेड़ से,

गली के कोतहूल से मिलने आया हूं
जो अब रहा नही ।

यहाँ एक रास्ता था

जिससे सारे गांव का वास्ता था।

लोगो से पता पछूता हूं तो

वो उसे वीरान कहते है

जो अब रहा नहीं ।

मसलन एक शख्स मुझे गांव में मिल ही जाता है

जिसका अब इस पूरे गांव से नाता है।

उस तालाब से, आम की छांव से, गली की घाम से

जो अब यहां रहता है

वो है सन्नाटा ।।

क्या मैं इसे यहां बसा के गया

हां मैं हर वो शख्स जो गांव से शहर चला गया।

ये इतना मौन क्यों है

या विलाप करते इसका गला बैठ गया है

गांव की मौत पर।

वो गांव जिससे मैं मिलने आया

वो गांव जिसे मैंने मारा! जिसे हमने मारा!

जिसकी सांस निकली

हर उस बच्चे के कदमों के साथ

जो शहर चला गया।

हर उस बस्ते के साथ

जो पीठ पर रखे और ओझल हो गए

मैं कबलूता हूं। मेरे भी कदम थे

उन बच्चों के कदमों के साथ,

फिर क्यों नहीं कबलू ते वो बस्ते

जो किए थे पीठ भारी हर उस शख्स की

जो शहर चला गया।

कि उसने भी गला दबाया गांव का मेरे साथ।।

No comments:

Post a Comment

गांव (village)

            गांव मैं अपने गांव आया हूं जो अब रहा नही। उस तालाब से, आम के पेड़ से, गली के कोतहूल से मिलने आया हूं जो अब रहा नही । यहाँ एक रास...