Thursday, 7 March 2019

तन्हा रहूँगा।

Hindi poem (तन्हा रहूँगा।)

तन्हा था वक़्त के लिए
तन्हा हूँ एक पल के लिए
तन्हा रहूँगा आपको अपना
न बना पाने के लिए।

No comments:

Post a Comment

गांव (village)

            गांव मैं अपने गांव आया हूं जो अब रहा नही। उस तालाब से, आम के पेड़ से, गली के कोतहूल से मिलने आया हूं जो अब रहा नही । यहाँ एक रास...