Thursday, 7 March 2019

सपने।(dreams)

सपने ।

सपने अब जवान हो गए है
पेड़ के हिलते झरोके समान हो गए है।
कैसे कह दूँ इनमे जान नहीं
ये बूढ़े की लकड़ी सामान हो गए है।
दो दिन पहले ही तो जन्मे थे
मगर अब हाथी सामान हो गए है
सपने अब जवान हो गए है।।
मैं कैसे सोता रात भर
ये सपने  ही तो थे मेरे अपने
कुछ खिल खिला उठे हैं।
तो कुछ बैठे बैठे बेईमान हो गये है
सपने अब जवान हो गए है।।

तन्हा रहूँगा।

Hindi poem (तन्हा रहूँगा।)

तन्हा था वक़्त के लिए
तन्हा हूँ एक पल के लिए
तन्हा रहूँगा आपको अपना
न बना पाने के लिए।

गांव (village)

            गांव मैं अपने गांव आया हूं जो अब रहा नही। उस तालाब से, आम के पेड़ से, गली के कोतहूल से मिलने आया हूं जो अब रहा नही । यहाँ एक रास...