Thursday, 7 March 2019

सपने।(dreams)

सपने ।

सपने अब जवान हो गए है
पेड़ के हिलते झरोके समान हो गए है।
कैसे कह दूँ इनमे जान नहीं
ये बूढ़े की लकड़ी सामान हो गए है।
दो दिन पहले ही तो जन्मे थे
मगर अब हाथी सामान हो गए है
सपने अब जवान हो गए है।।
मैं कैसे सोता रात भर
ये सपने  ही तो थे मेरे अपने
कुछ खिल खिला उठे हैं।
तो कुछ बैठे बैठे बेईमान हो गये है
सपने अब जवान हो गए है।।

तन्हा रहूँगा।

Hindi poem (तन्हा रहूँगा।)

तन्हा था वक़्त के लिए
तन्हा हूँ एक पल के लिए
तन्हा रहूँगा आपको अपना
न बना पाने के लिए।

Thursday, 28 February 2019

सच कहता हूँ यारो।

सच कहता हूँ यारो
वक़्त ठहर जाता है
जब सामने वो आ जाती है।
दृश्य हो या दर्पण
एक मदहोशी सी छा जाती है।।
जब सामने वो आ जाती है
वक़्त गुजर जाता है ऐसे
सुबह से शाम हो जाती है।
सच कहता हूँ यारो
वक़्त ठहर जाता है
जब सामने वो आ जाती है।।

बेरहम कलम।



ये कलम भी बड़ी बेरहम होती है।
जिसे छुपाना चाहूं 
उसी को उजागर कर देती है।।

देश की रवानी।

गुलिस्तां तो भरी जवानी सा लगता है
प्रेमी की आँखों से बहता पानी सा लगता है।
ग़र सुनते हो तुम ओ देश वालो
तो पता तो करो ।
ये अपने ही देश की रवानी सा लगता है।।

रात दिखाई न देगी।

 मीठे पान में भी अब वो
 मिठास दिखाई न देगी।
 बिछायी थी जो कभी
 वो अब बिसात दिखाई न देगी।
 ज़रा देर कर दी आने में
 अब आँखे बंद करें और चाँद नज़र आये
 ऐसी कोई रात दिखाई न देगी।

लफ्ज़ो की दास्तां।

कुछ लफ्ज़ो से बयां हुआ।
कुछ आँखों से रूबरू हुआ।
बस दो घड़ी वक्त मिला
वो भी आँसू बन अधरों पे बिखरा हुआ।।

मैं फौजी हूँ।

मैं तुझसे दूर जा कर भी दूर नही रहूँगा
मुद्दतो बाद मिला है ये दुःख मैं खुशी खुशी सहूँगा।
कुछ पल बिताये कुछ छूट गए हांथो से
पर तेरी याद हमेशा अपने सीनें में छुपाये रहूँगा।
कुछ तो लोग कहेंगे पर तू फ़िक्र ना करना
मैं तेरे हर वार अपनी पीठ पर सहूँगा।।
वक्त की ख्वाहिश थी मिलाना पर
मैं तुझसे दूर जा कर भी दूर नही रहूँगा।
कुछ बातें की कुछ वादे पर तू फ़िक्र न कर
मैं तेरे हर वादे को न निभाते हुए भी निभाता रहूँगा।।

गांव (village)

            गांव मैं अपने गांव आया हूं जो अब रहा नही। उस तालाब से, आम के पेड़ से, गली के कोतहूल से मिलने आया हूं जो अब रहा नही । यहाँ एक रास...